प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने चीन से बांग्लादेश में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ाने की अपील करते हुए कहा है कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का चारों ओर से जमीन से घिरा होना इस संबंध में एक अवसर साबित हो सकता है। ऐसे में जबकि चीन की नजर पूर्वोत्तर क्षेत्र पर पहले ही लगी रहती है तब बांग्लादेश की ओर से दिये गये इस प्रस्ताव को कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यूनुस एक वायरल क्लिप में यह कहते दिखाई देते हैं कि उनका देश महासागर (बंगाल की खाड़ी) का एकमात्र संरक्षक है क्योंकि भारत के पूर्वोत्तर राज्य चारों ओर से जमीन से घिरे हैं और उनके पास समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि यूनुस आगे कहते हैं कि इससे ‘‘बड़ी संभावनाएं’’ खुलेंगी और चीन को बांग्लादेश में अपना आर्थिक प्रभाव बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूनुस ने ये टिप्पणियां चीन की अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान कीं। उन्होंने कहा कि यह बहुत गंभीर मुद्दा है और यह राष्ट्र की सुरक्षा से संबंधित है। उन्होंने कहा कि वह चीन के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए हमारे देश के क्षेत्रों का उल्लेख कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निश्चित ही भारत सरकार इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनायेगी। लेकिन मुझे लगता है कि चीन के प्रभाव में रहने के दौरान जब नेपाल जिस तरह भारत विरोधी बातें कर रहा था तब भी भारत ने बड़ा धैर्य और संयम दिखाते हुए नेपाल को अक्ल आने का इंतजार किया था वैसा ही बांग्लादेश के मुद्दे पर भी सरकार रुख अपना सकती है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ बयानबाजी में उलझने से दिक्कतें बढ़ती हैं और आगे संबंध बेहतर होने की संभावनाएं क्षीण हो जाती हैं। पाकिस्तान इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने साथ ही कहा कि इस मुद्दे पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा का बयान काफी अच्छा आया है जिसमें उन्होंने ‘चिकन्स नेक’ के अलावा पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने वाले वैकल्पिक मार्गों की खोज को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि वैसे यह चिंताजनक बात है कि भारत को घेरने के लिए बांग्लादेश चीन को आमंत्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश सरकार का यह रवैया हमारे पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बहुत खतरनाक है। हालांकि उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली को यूनुस के बयानों से घबराना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके बयानों से इस वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आता कि भारत आज क्या है और वह क्या करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी सुरक्षा चिंताओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने साथ ही कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में भारत के प्रति बांग्लादेश की नीति में किसी बड़े बदलाव का कोई संकेत नजर नहीं आ रहा है क्योंकि नयी दिल्ली ने यूनुस के चीन दौरे और वहां की गयी टिप्पणियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उन्होंने कहा कि देखना होगा कि बिस्मटेक सम्मेलन के दौरान क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोहम्मद यूनुस के बीच द्विपक्षीय मुलाकात होती है या नहीं।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे इसमें कोई दो राय नहीं कि जिस तरह बांग्लादेश पहले खुद भारत विरोध पर उतरा, उसके बाद भारत के दुश्मन नंबर एक पाकिस्तान के साथ करीबी संबंध बनाये और अब चीन के पाले में जा रहा है उस पर दिल्ली चुपचाप नहीं बैठी रहेगी। समय आने पर ऐसे लोगों का सही ईलाज किया ही जायेगा। उन्होंने कहा कि वैसे भारत के कुछ पड़ोसी देश जैसे- श्रीलंका, मालदीव और नेपाल आदि चीन के करीब जाकर और भारत विरोधी रुख अपना कर खुद का नुकसान करा चुके हैं और उन्हें अब संभवतः सही और गलत का अहसास हो चुका है। संभव है बांग्लादेश में भी जल्द ही सुधार हो। उन्होंने कहा कि वैसे भी बांग्लादेश का इतिहास रहा है कि जब-जब वहां कट्टरपंथी तत्व सत्ता में रहे हैं तब-तब उस देश के भारत के साथ संबंध खराब ही रहे हैं।