बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के जाने के बाद से ही उसके रिश्ते खराब होते जा रहे हैं। हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को लैंड लाक्ड बताते हुए चीन को एक अहम प्रस्ताव दे दिया था। उनके इस बयान की खूब आलोचना हुई। अब बांग्लादेश को लेकर भारत ने बिना किसी शोर मचाए ऐसी दवाई की है, जिसका बांग्लादेश के पास कोई उपाय नहीं होगा। दरअसल, भारत ने बांग्लादेश को दी गई अहम ट्रांस शिपमेंट सुविधा को रद्द कर दिया है। इसके तहत बांग्लादेश के एक्सपोर्ट कार्गो को भारतीय सीमा भूमि शुल्क स्टेशनों, एयरपोर्ट और पोर्ट के जरिए तीसरे देशों तक ले जाने की इजाजत मिली हुई थी। अब भारत की ओर से ये सुविधा रद्द की जा रही है।
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बैंकॉक में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रधान सलाहकार मोहम्मद यूनुस और पीएम मोदी के बीच हालिया मुलाकात के बावजूद दोनों देशों के संबंधों में सहजता वापस नहीं आ रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारत ने वांग्लादेश से बंदरगाहों और हवाई अड्डे के रास्ते किसी तीसरे देश को दी जाने वाली ट्रांसशिपमेंट सुविधा को हटा लिया है। ये सुविधा 8 अप्रैल से हटाई गई है। साल 2020 में दी गई थी, जिसके तहत बांग्लादेश को मिडिल ईस्ट, यूरोप और कई अन्य देशों में अपने निर्यात भेजने के लिए दिल्ली हवाई अड्डे समेत भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी, अब रोक लगा दी है।
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हालांकि, नेपाल और भूटान को इस फैसले से छूट दी गई है। उनके निर्यात पर असर नहीं होगा। भारत ने कहा, बीते कुछ समय से इस सुविधा की वजह से हमारे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर अतिरिक्त जमाव हो रहा है। नतीजतन हमारे खुद के निर्यात को लॉजिस्टिक्स में देरी और ऊंची लागत की वजह से बैकलॉग का सामना करना पड़ रहा था। गौरतलब है कि मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में चीन की चार दिवसीय यात्रा के दौरान भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र को लैंड लाक्ड बताया था और कहा था कि समुद्र तक उनके पास पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है। बांग्लादेश को इस क्षेत्र का प्रमुख गेट वे भी करार दिया था। दक्षिण एशिया में ढाका को महासागर का एक मात्र संरक्षक बताते हुए मुख्य सलाहकार यूनुस ने चीन से अपनी आर्थिक मौजूदगी को बढ़ाने की अपील की थी। हालांकि इस बयान के बाद भारत के प्रधानमंत्री के साथ यूनुस की मुलाकात हुई, जिसको लेकर दोनों देशों के बीच बातचीत सकारात्मक हुई है। लेकिन जिस तरह से भारत ने ये एक्शन लिया है। उससे एक बात साफ है कि भारत ने बिना किसी शोर मचाए ही बांग्लादेश की दवाई करने का फैसला किया है।