Thursday, April 17, 2025
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माफिया मुक्त हुआ वक्फ, मुसलमानों को मिली नई आज़ादी: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

नई दिल्ली। संसद के दोनों सदनों से वक्फ संशोधन विधेयक 2024 – 2025 पारित होने के बाद देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने इस विधेयक को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू, JPC चेयरमैन जगदंबिका पाल और मंच के हजारों कार्यकर्ताओं के प्रयासों को सलाम किया है। मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने मुस्लिम समाज से अपील की है कि वे इस ऐतिहासिक क्षण को हर्ष और उल्लास से मनाएं। यह कानून किसी मज़हब या पंथ के खिलाफ नहीं है, बल्कि पारदर्शिता, न्याय और विकास का प्रतीक है। यह यतीमों, विधवाओं, गरीबों और जरूरतमंदों को उनका अधिकार दिलाने वाला कानून है।

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मंच ने देशवासियों से अपील की है कि देश को तोड़ने, लड़ाने, भड़काने और बहकाने वाली विकृत मानसिकता वाले दलों और संगठनों से सचेत रहें। मंच ने कहा है कि भारत को अंग्रेजों से आजादी 1947 में मिली लेकिन वक्फ को माफियाओं और भूमि जेहादियों से आजादी आज मिली है। इस दिन और प्रधानमंत्री का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। मंच ने कहा है कि यह कानून मुस्लिम समाज को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल जैसी तथाकथित मुस्लिम हितैषी पार्टियों की सियासी गुलामी से भी मुक्त करता है। मंच ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि मुसलमान डर, भ्रम और कट्टरता से बाहर निकलें और विकास के साथ आगे बढ़ें।
मंच का राष्ट्रव्यापी अभियान: गांव-गांव में हुआ जनजागरण
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने बताया कि इस विधेयक के समर्थन में मंच के हजारों कार्यकर्ताओं ने देश के कोने-कोने में जाकर 5000 से ज्यादा जनसभाएं, संवाद, गोष्ठियां, लेख अभियान और टीवी डिबेट आयोजित कीं, जिससे समाज में जागरूकता फैली। वक्फ संपत्तियों में हो रही गड़बड़ियों, बंदरबांट और राजनीतिक स्वार्थों की सच्चाई को उजागर किया गया। सैकड़ों विशेष कार्यक्रम आयोजित कर वक्फ संपत्तियों में चल रहे घोटालों और बंदरबांट की सच्चाई सामने लाई गई। अफवाहों और ग़लत बयानों का खंडन करते हुए लोगों को समझाया गया कि इस कानून से किसी की आस्था को कोई खतरा नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक सुधार का मार्ग है।
रिस्पेक्ट टू इस्लाम एंड गिफ्ट फॉर मुस्लिम’ पुस्तक की भूमिका : नया युग, नई उम्मीद
वक्फ कानून की पृष्ठभूमि, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और समाधान को लेकर लिखी गई पुस्तक “Respect to Islam and Gift for Muslim” इस आंदोलन की वैचारिक रीढ़ बनी। इसके विमोचन में किरेन रिजिजू, जगदंबिका पाल, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार, संघ के संपर्क प्रमुख रामलाल, बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मोंटेनेग्रो की एंबेसडर जेनिस दरबारी शामिल थे। पुस्तक को किरेन रिजिजू ने वक्फ का इनसाइक्लोपीडिया बताया और हर किसी को पढ़ने की सलाह दी। यह पुस्तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत तक भी पहुंची।
मंच के कार्यकर्ताओं के माध्यम से यह पुस्तक जन जन तक पहुंची जिसमें वक्फ में चल रही गड़बड़ियों को बखूबी उजागर किया गया था। साथ ही साथ बिल के समर्थन में विस्तार से बताया गया था। कानून बनने के बाद क्या संभावित लाभ हाशिए पर रह रहे मुसलमानों को पहुंचेगा, इस पर भी व्यापक रूप से प्रकाश डाला गया था। पुस्तक में बताया गया था कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर लगाम लगाएगा, पारदर्शिता लाएगा और समाज के वंचित तबके को उसका हक दिलाएगा। यह ‘वक्फ से विकास’ की सोच को साकार करेगा और मुस्लिम समाज को आत्मनिर्भर और सम्मानजनक भविष्य की ओर ले जाएगा।’
पुस्तक के माध्यम से बताया गया कि वक्फ के पास लगभग 2 लाख करोड़ की संपत्ति है लेकिन सालाना आमदनी मात्र 163 करोड़ की है जबकि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के मद्देनजर आज के वैल्युएशन और इनफ्लेशन के हिसाब से देखें तो आमदनी लगभग सवा लाख करोड़ सालाना होनी चाहिए। इस आमदनी से वक्फ बोर्ड अस्पताल, विश्विद्यालय, स्कूल, नर्सिंग होम, स्किल डेवलपमेंट सेंटर इतियादी खोल सकता था। इससे मुसलमानों की शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सभी में फायदा होता, बेरोजगारी दर भी घटती। परंतु वक्फ बोर्ड ने कुछ नहीं लिया। जबकि दूसरी तरफ माता मंगला फाउंडेशन ने 1000 बेड का अस्पताल खोला, माता वैष्णव देवी ट्रस्ट ने 470 एकड़ में विश्वविद्यालय खोला। इसी प्रकार रिलायंस फाउंडेशन और आगा खान जनहित के कार्यक्रम करता है। लोगों के वक्फ से ही सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बना दी।
कानून का स्वागत: विशेषज्ञों की राय
प्रो. (डॉ.) शाहिद अख्तर, कार्यकारी अध्यक्ष, NCMEI:
यह कानून सत्य की विजय है। वर्षों से वक्फ संपत्तियों पर कब्जे और भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं, अब उनका समाधान संभव हो सकेगा। वक्फ बोर्ड की निष्क्रियता के कारण भारतीय मुस्लिम पिछड़े रह गए, जबकि उनके पास दुनिया का सबसे बड़ा लैंड बैंक है। अगर इन संपत्तियों का सही उपयोग हुआ होता, तो मुस्लिम समाज शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक क्षेत्र में अग्रणी होता। यह विधेयक उन भ्रष्ट तत्वों पर अंकुश लगाएगा, जिन्होंने वर्षों तक वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग किया।
डॉ. शालिनी अली, सामाजिक कार्यकर्ता व विश्लेषक:
वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण, CAG ऑडिट और पारदर्शिता से तथाकथित रहबर डर रहे थे, क्योंकि इससे उनकी अवैध संपत्तियां उजागर हो जातीं। यह विधेयक उन लोगों के लिए चुनौती है, जिन्होंने वर्षों तक वक्फ संपत्तियों का उपयोग अपने निजी स्वार्थों के लिए किया। अब इनका असली चेहरा समाज के सामने आएगा और वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में होगा।
अधिवक्ता शिराज कुरैशी, मुस्लिम मामलों के विशेषज्ञ
कुछ तत्व विधेयक के खिलाफ अफवाहें फैला रहे थे कि यह मुस्लिम संपत्तियों पर दखल देगा। यह सरासर झूठ था। यह कानून वक्फ संपत्तियों को पारदर्शी बनाने और गरीब मुस्लिमों को उनका हक दिलाने के लिए बना है। पहले कुछ खास लोग इन संपत्तियों पर कब्जा जमाए बैठे थे, लेकिन अब इसका सही इस्तेमाल शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए होगा।
शाहिद सईद, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता:
अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विधेयक को 2014 से 2024 लोकसभा चुनाव से पहले पारित कराते, तो कौन उन्हें रोक सकता था? बावजूद इसके, जब उनके पास पूर्ण बहुमत नहीं था, तब भी उन्होंने इस विधेयक को पास कराकर साबित कर दिया कि वे मुस्लिम समाज के हाशिए पर खड़े लोगों की चिंता करते हैं। यह कानून उन लाखों गरीब मुस्लिमों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है, जिन्हें वक्फ संपत्तियों से अब तक कोई लाभ नहीं मिला था।

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मंच की देशवासियों से अपील
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पदाधिकारियों मोहम्मद अफजाल, गिरीश जुयाल, सैयद रजा हुसैन रिजवी, अबु बकर नकवी, विराग पाचपोर, इस्लाम अब्बास, इरफान अली पीरजादा, मज़ाहिर खान, हाफिज साबरीन, इमरान चौधरी, बिलाल उर रहमान, फैज खान, ऐस के मुद्दीन, अल्तमश बिहारी, तुषारकांत, ठाकुर राजा रईस, माजिद तालिकोटी, ताहिर हुसैन, कल्लू अंसारी, हबीब मोहम्मद चौधरी, शफकत कादरी, हसन नूरी समेत अनेकों कार्यकर्ताओं ने देश के नागरिकों से अपील की है कि ऐसे नेताओं और दलों से सतर्क रहें जो डर फैलाकर मुस्लिम समाज को गुमराह करते हैं। मंच ने कहा, “अब समय है बदलाव का, भाईचारे का और समाज को शिक्षित व सशक्त बनाने का। यह कानून ‘वक्फ से विकास’ की नींव रखेगा और भारत के मुसलमानों को आत्मसम्मान से जीने का अवसर देगा।
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